SSC घोटाला: दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन की वजह और छात्रों की मांग

स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) भारत में उन लाखों युवाओं के सपनों का प्रवेश द्वार है जो सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं। यह आयोग केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में भर्ती के लिए हर साल कई परीक्षाएं आयोजित करता है। लेकिन पिछले कुछ समय से, इस आयोग की कार्यप्रणाली लगातार विवादों में रही है। हाल ही में, दिल्ली में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों ने इस मुद्दे को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। देश के कोने-कोने से हजारों छात्र और शिक्षक दिल्ली पहुंचे, ताकि वे अपनी पीड़ा और मांगें सरकार तक पहुंचा सकें।

यह विरोध प्रदर्शन किसी एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि यह एसएससी की परीक्षा प्रक्रिया में लगातार हो रही अनियमितताओं, धांधलियों और कुप्रबंधन के खिलाफ लंबे समय से सुलग रहे आक्रोश का परिणाम है। यह सिर्फ एक परीक्षा में गड़बड़ी का मामला नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम पर से विश्वास उठने का संकेत है। इस लेख में, हम इस विरोध प्रदर्शन के कारणों, छात्रों की मुख्य मांगों और इस पूरे विवाद के पीछे की कहानी को विस्तार से समझेंगे।

विरोध प्रदर्शन की मुख्य वजहें: छात्रों की जुबानी

छात्रों और उनके शिक्षकों का कहना है कि वे इस विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए हैं क्योंकि उनकी शिकायतों को लगातार अनसुना किया जा रहा है। परीक्षा प्रणाली में कई ऐसी गंभीर खामियां हैं, जो उनके भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं |

यहा तक की हर एक परीक्षा में वो एसएससी हो या रेलवे हो, या शिक्षक का पेपर हो सब में धांधली हो रही है। जब कोई नया वैकेंसी निकलता भी है तो उनके सीटो में भी कटौती होती है। अभी एलटी ग्रेड वैकेंसी में भी बहुत सीट कम आई है ये भी एक मुद्दा है| और एलटी ग्रेड परीक्षा में बीटेक आईटी छात्र को सामिल नहीं किया गया है ये भी छात्र के साथ बहुत गलत हुआ है। जबकी BTECH IT और BTECH CS का बच्चा हर जगह बराबर होता है | 

  1. परीक्षा केंद्रों का गलत आवंटन और प्रशासनिक कुप्रबंधन:
    • छात्रों की सबसे बड़ी शिकायतों में से एक है परीक्षा केंद्रों का गलत आवंटन। कई छात्रों को उनके घर से सैकड़ों या हजारों किलोमीटर दूर केंद्र दिए गए। उदाहरण के लिए, कानपुर के एक छात्र को कर्नाटक में, और जयपुर के छात्र को अंडमान निकोबार में केंद्र आवंटित कर दिया गया।
    • परीक्षा के एडमिट कार्ड भी समय पर जारी नहीं हो रहे। पहले एडमिट कार्ड परीक्षा से 4 दिन पहले मिल जाते थे, लेकिन अब परीक्षा से 1-2 दिन पहले तक भी जारी नहीं हो रहे।
    • कई केंद्रों पर खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की शिकायतें भी सामने आईं। छात्रों का आरोप है कि कुछ सेंटरों पर मवेशियों के सिर रखे थे, वहीं कुछ जगहों पर बाउंसर्स तैनात थे जो छात्रों की शिकायतों को दबाने की कोशिश कर रहे थे।
  2. तकनीकी खामियां और सिस्टम की विफलता:
    • ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली, जिसे पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया गया था, वह खुद ही एक बड़ी समस्या बन गई है। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा के दौरान सिस्टम क्रैश होना, माउस का ठीक से काम न करना, और सर्वर संबंधी समस्याएं आम थीं।
    • कुछ केंद्रों पर तो परीक्षा के बीच में ही कंप्यूटर बंद हो गए, जिससे छात्रों को भारी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।
    • इस साल एसएससी ने परीक्षा कराने वाली एजेंसी (वेंडर) को बदला है, जिससे छात्रों में काफी रोष है। उनका आरोप है कि यह नया वेंडर परीक्षा को सुचारू रूप से कराने में पूरी तरह से विफल रहा है। कुछ छात्रों का यह भी दावा है कि यह नई कंपनी पहले से ही शिक्षा विभाग द्वारा ब्लैकलिस्टेड है और इसका नाम “व्यापम” जैसे बड़े घोटालों में भी आ चुका है।
  3. पेपर लीक और परीक्षा रद्द होने का सिलसिला:
    • एसएससी की परीक्षाओं में बार-बार पेपर लीक और रद्द होने की खबरें सामने आती रही हैं। एसएससी ने हाल ही में सिलेक्शन पोस्ट फेज 13 की कुछ परीक्षाएं प्रशासनिक और तकनीकी कारणों से रद्द कर दीं, जिससे छात्रों का गुस्सा और भी बढ़ गया।
    • इंदौर में एक चौंकाने वाली घटना में, कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र में बंद कर दिया गया और तकनीकी खामियों पर सवाल उठाने पर कथित तौर पर उनकी पिटाई भी की गई।
    • छात्रों का दावा है कि कई शिफ्टों में पेपर का पैटर्न एक जैसा था, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या पहली शिफ्ट के प्रश्न दूसरी और तीसरी शिफ्ट में दोहराए गए थे।
छात्रों की मुख्य मांगें: एक साफ और पारदर्शी व्यवस्था की पुकार

दिल्ली में जुटे छात्रों और शिक्षकों का यह विरोध प्रदर्शन केवल नाराजगी जाहिर करने तक सीमित नहीं था। वे एक स्पष्ट और ठोस समाधान चाहते हैं। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

  1. परीक्षा प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता:
    • छात्रों की सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि एसएससी की पूरी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए। वे चाहते हैं कि परीक्षा कराने वाली कंपनी का चयन एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हो।
    • उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनकी परीक्षा किस वेंडर द्वारा कराई जा रही है और उस वेंडर का इतिहास क्या है।
  2. दोषी वेंडर पर सख्त कार्रवाई:
    • वर्तमान परीक्षा वेंडर की विफलता और कुप्रबंधन के कारण छात्रों को हुए नुकसान को देखते हुए, वे चाहते हैं कि इस कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
    • छात्रों की मांग है कि इस कंपनी को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए और एक विश्वसनीय वेंडर को नियुक्त किया जाए।
  3. पुनः परीक्षा और मुआवजे की मांग:
    • जिन छात्रों को तकनीकी गड़बड़ियों या प्रशासनिक लापरवाही के कारण परीक्षा में कठिनाई का सामना करना पड़ा, वे पुनः परीक्षा की मांग कर रहे हैं।
    • कुछ छात्र मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक नुकसान के लिए मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं, क्योंकि परीक्षा के लिए दूर-दराज के केंद्रों पर जाने में उनका काफी पैसा और समय बर्बाद हुआ।
  4. उच्च स्तरीय जांच:
    • छात्रों ने सरकार से हस्तक्षेप करने और एसएससी की पूरी कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। वे चाहते हैं कि इस पूरे मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दी जाए।
सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की राह

विरोध प्रदर्शन के दौरान, पुलिस और छात्रों के बीच झड़प और लाठीचार्ज की खबरें भी सामने आईं, जिससे यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया। कई छात्रों और शिक्षकों को हिरासत में भी लिया गया। इस घटना ने एक लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है। लाखों युवाओं के भविष्य का सवाल है, और उनके मन में बैठी हुई अविश्वास की भावना को दूर करना आवश्यक है। यह सिर्फ एक भर्ती प्रक्रिया का मामला नहीं, बल्कि देश के सरकारी तंत्र पर युवाओं के भरोसे का सवाल है। सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से सुनना चाहिए, और एक निष्पक्ष व पारदर्शी समाधान पेश करना चाहिए।

एक मजबूत और जिम्मेदार सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध हो। परीक्षा कराने वाली एजेंसियों की जवाबदेही तय हो और किसी भी गड़बड़ी के लिए उन्हें सख्त दंड मिले। तभी लाखों युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा और सरकारी नौकरियों में उनकी मेहनत का सम्मान हो सकेगा।

इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि जब छात्रों के सपनों और मेहनत पर कुठाराघात होता है, तो वे चुप नहीं बैठेंगे। उनकी आवाज को दबाने की कोशिशें भी विफल होंगी, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, बल्कि न्याय, सम्मान और एक बेहतर भविष्य की है।

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