विमान हादसों की जांच अक्सर तकनीकी खराबी, मौसम की स्थिति या मानवीय भूल की ओर इशारा करती है। लेकिन जब कोई विशेषज्ञ यह दावा करता है कि पायलट ने जानबूझकर विमान को क्रैश किया, तो यह एक चौंकाने वाला और गंभीर आरोप होता है। हाल ही में एक पुराने मामले को लेकर एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि Air India की एक फ्लाइट को पायलट ने खुद गिराया था। यह दावा न सिर्फ हैरान करता है, बल्कि यह कई सवाल भी खड़े करता है कि क्या कोई ऐसा कर सकता है? अगर हां, तो क्यों?
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह दावा किस विमान दुर्घटना को लेकर किया गया है, विशेषज्ञ का कहना क्या है, क्या इससे पहले ऐसे कोई मामले सामने आए हैं, और यह कितना संभव है कि कोई पायलट जानबूझकर सैकड़ों यात्रियों की जान जोखिम में डाले।
कौन सी फ्लाइट थी ये?
यह मामला Air India की फ्लाइट 855 से जुड़ा है, जो 1 जनवरी 1978 को मुंबई से दुबई जा रही थी। बोइंग 747 एयरक्राफ्ट ने मुंबई से उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ ही मिनटों के भीतर अरब सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 213 लोग मारे गए, जिनमें सभी यात्री और क्रू सदस्य शामिल थे।
यह भारतीय नागरिक उड्डयन इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक है। हादसे के तुरंत बाद जांच शुरू की गई थी, लेकिन आज इतने सालों बाद भी इसकी असल वजह को लेकर बहस जारी है।
विशेषज्ञ का दावा क्या है?
हाल ही में एक पूर्व पायलट और एविएशन एक्सपर्ट ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि इस दुर्घटना की मुख्य वजह पायलट की मानसिक स्थिति और उनकी जानबूझकर की गई कार्रवाई थी। उनका कहना है कि हादसे के समय पायलट कैप्टन मदान लाल खुराना गहरे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे।
विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि विमान के उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही पायलट ने फ्लाइट को एक तरफ झुका दिया और को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर की चेतावनियों को नजरअंदाज किया। उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे उन्हें किसी की परवाह नहीं थी।
ब्लैक बॉक्स में क्या मिला?
फ्लाइट के ब्लैक बॉक्स यानी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से मिले डेटा के अनुसार:
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उड़ान के केवल 101 सेकंड बाद ही फ्लाइट में असामान्य गतिविधि शुरू हो गई थी।
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को-पायलट और अन्य क्रू बार-बार पायलट को चेतावनी दे रहे थे कि विमान तेजी से झुक रहा है, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा लग रहा था जैसे पायलट मानसिक रूप से कहीं और थे या उन्होंने जानबूझकर नियंत्रण छोड़ा।
क्या यह आत्महत्या थी?
विशेषज्ञ का मानना है कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि मर्डर-सुसाइड (हत्या के साथ आत्महत्या) का मामला हो सकता है।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, फ्लाइट से एक दिन पहले पायलट को कुछ व्यक्तिगत समस्याओं का सामना करना पड़ा था। ऐसी भी चर्चा थी कि उनका परिवारिक जीवन तनाव में था और वह मानसिक रूप से स्थिर नहीं थे।
हालांकि आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यदि ये बात सही है, तो यह एक बेहद खतरनाक और दुखद सच्चाई को उजागर करती है|
क्या पहले भी ऐसा हुआ है?
ऐसे कई उदाहरण दुनिया भर में सामने आए हैं जहाँ पायलट ने जानबूझकर विमान को क्रैश किया:
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Germanwings फ्लाइट 9525 (2015):
जर्मनी के एक को-पायलट ने विमान को फ्रांस की पहाड़ियों में टकरा दिया। इस हादसे में 150 लोग मारे गए। बाद में पता चला कि को-पायलट डिप्रेशन से ग्रस्त था। -
EgyptAir फ्लाइट 990 (1999):
अमेरिका से काहिरा जा रही इस फ्लाइट को लेकर भी दावा किया गया था कि पायलट ने जानबूझकर विमान को गिराया। -
MH370 (2014):
मलेशिया एयरलाइंस की इस फ्लाइट के गायब होने के पीछे भी पायलट की भूमिका पर कई विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं।
इन मामलों को देखते हुए एयर इंडिया 855 की घटना भी कहीं न कहीं उसी कड़ी का हिस्सा लगती है।
सरकारी जांच क्या कहती है?
1978 की इस दुर्घटना के बाद सरकार और नागरिक उड्डयन विभाग ने जांच शुरू की थी। उस समय रिपोर्ट में कहा गया था कि यह “मानवीय भूल” का मामला था। लेकिन जानबूझकर किए गए क्रैश की संभावना को खारिज नहीं किया गया था।
हालांकि उस वक्त मानसिक स्वास्थ्य की जांच और समझ इतनी विकसित नहीं थी, जितनी आज है। उस समय पायलट की मानसिक स्थिति की गहराई से जांच नहीं की गई।
वर्तमान में क्या कदम उठाए जाते हैं?
आज के समय में ऐसे मामलों से बचने के लिए कई कदम उठाए जाते हैं:
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पायलट्स की मानसिक स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य कर दिया गया है।
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हर 6 महीने में मेडिकल और साइकोलॉजिकल टेस्ट होते हैं।
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कॉकपिट में हमेशा दो सदस्य होने चाहिए।
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फ्लाइट डेटा की निगरानी के लिए AI आधारित सिस्टम लगाए जा रहे हैं।
इन उपायों से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से गारंटी आज भी संभव नहीं है।
समाज में मानसिक स्वास्थ्य की भूमिका
यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि मानसिक स्वास्थ्य को कितना गंभीरता से लेना चाहिए। जब एक जिम्मेदार और प्रशिक्षित व्यक्ति इस स्थिति में आ सकता है कि वह सैकड़ों जिंदगियों को खत्म कर दे, तो यह केवल एक “एविएशन इशू” नहीं बल्कि सोशल और साइकोलॉजिकल इशू बन जाता है।
परिवारों की पीड़ा
इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए यह खबर और भी दुखद है। उन्हें अब तक लगा कि यह एक दुर्घटना थी, लेकिन अब अगर यह साबित होता है कि यह जानबूझकर किया गया कृत्य था, तो वह एक और सदमे से गुजरेंगे।
एयर इंडिया फ्लाइट 855 की घटना को लेकर किया गया यह नया दावा कई पुराने घावों को फिर से हरा कर गया है। अगर यह सच है कि पायलट ने जानबूझकर विमान को गिराया, तो यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि एक मानव त्रासदी है।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि एविएशन इंडस्ट्री में तकनीक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य, नियमित मूल्यांकन, और समय पर हस्तक्षेप कितना जरूरी है।
हमें चाहिए कि हम भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए पायलट्स और अन्य क्रू मेंबर्स की न सिर्फ टेक्निकल स्किल्स, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति को भी उतनी ही गंभीरता से लें।
Disclaimer:
यह लेख विभिन्न समाचार सूत्रों और विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को जानकारी देना है। किसी व्यक्ति विशेष या संस्था की छवि को ठेस पहुंचाना इसका उद्देश्य नहीं है।