“बिहार में STET अभ्यर्थियों का उग्र प्रदर्शन: बोले – ‘परीक्षा नहीं, तो वोट नहीं!’”

पटना – बिहार की राजधानी एक बार फिर शिक्षित युवाओं की गूंज से भर गई है। STET (सेकेंडरी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) के हजारों अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग सीधी और स्पष्ट है – “STET परीक्षा कराओ, नहीं तो वोट नहीं मिलेगा!”

क्या है पूरा मामला?

शिक्षक बनने की उम्मीद में वर्षों से तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों का गुस्सा इस बार उफान पर है। उनका कहना है कि सरकार ने पूर्व में वादा किया था कि STET की परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी। लेकिन यह वादा आज तक कागजों से बाहर नहीं आया। पिछले दो वर्षों से परीक्षा आयोजित नहीं की गई, जिससे हजारों नहीं, करीब पांच लाख अभ्यर्थी पात्रता प्रमाणपत्र से वंचित रह गए हैं।

इनका आरोप है कि TRE (Teacher Recruitment Exam) के चरणों को लगातार बढ़ाया जा रहा है, लेकिन STET की परीक्षा अब तक नहीं कराई गई है। जबकि STET परीक्षा ही उन उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक बनना चाहते हैं।

सरकार की चुप्पी और शिक्षा विभाग की सुस्ती के कारण अभ्यर्थियों में भारी रोष है।

TRE 4 से पहले STET की मांग

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के तहत होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE) में शामिल होने के लिए STET पास होना जरूरी है। ऐसे में, TRE 4 की वैकेंसी निकलने से पहले STET परीक्षा कराना बेहद आवश्यक है।
अभ्यर्थियों का कहना है:

“जब पात्रता ही नहीं मिलेगी, तो भर्ती में कैसे बैठेंगे?”

इसलिए उनका जोर है कि सरकार TRE 5 से पहले नहीं, बल्कि TRE 4 से पहले ही STET की परीक्षा आयोजित करे।

अभ्यर्थियों का गुस्सा सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रहा। वे पटना विश्वविद्यालय से लेकर कारगिल चौक और वहां से डाकबंगला चौराहा तक सड़कों पर पैदल मार्च करते दिखे। उन्होंने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने की भी कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें डाकबंगला चौराहा पर ही रोक दिया।

हजारों की संख्या में जुटे इन छात्रों ने एक सुर में कहा –

“हम नौकरी नहीं, सिर्फ हक मांग रहे हैं।”

अभ्यर्थियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि:

  • सरकार पिछले 2 साल से STET परीक्षा का आयोजन नहीं कर रही है।

  • दो सेशन के विद्यार्थी पात्रता से वंचित रह गए हैं।

  • 2023-24 सत्र के छात्र अब तक परीक्षा के इंतजार में बैठे हैं।

  • सरकार ने पहले डोमिसाइल लागू किया, अब परीक्षा क्यों नहीं करवा रही?

एक प्रदर्शनकारी ने कहा –

सरकार हमसे रोजगार नहीं छीन रही, बल्कि भविष्य का रास्ता बंद कर रही है।

बिहार सरकार के सामने अब यह एक साधारण मांग नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य और विश्वास से जुड़ा विषय बन चुका है। परीक्षा की अनिश्चितता न केवल इन अभ्यर्थियों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनके आर्थिक और सामाजिक जीवन को भी झटका दे रही है।

सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द STET परीक्षा की तारीख घोषित करे और उन अभ्यर्थियों को सम्मान दे, जो शिक्षक बनने का सपना लेकर वर्षों से तैयारी कर रहे हैं।

छात्रों ने सरकार को खुली चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में “वोट बहिष्कार” करेंगे।

उनका कहना है कि शिक्षकों की कमी से जूझ रहे बिहार में यदि योग्य उम्मीदवारों को ही अवसर नहीं मिलेगा तो शिक्षा व्यवस्था और बिगड़ जाएगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले कह चुके हैं कि –

TRE 5 से पहले STET परीक्षा ली जाएगी।

लेकिन छात्रों का कहना है कि ये सिर्फ आश्वासन है, कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई। वे अब केवल घोषणा नहीं, स्पष्ट तारीख चाहते हैं|

‘STET नहीं, तो वोट नहीं’ – एक जन आंदोलन की शुरुआत

अभ्यर्थियों ने साफ कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द संज्ञान नहीं लिया, तो वे आगामी चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे।
उनका कहना है –

“जब हमारा भविष्य अधर में है, तो वोट देने का क्या मतलब?”

इस नारे के साथ – “STET नहीं तो वोट नहीं!” – प्रदर्शन अब एक सामाजिक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।

एक छात्र ने कहा:

“सरकार हमें छल रही है। हम सिर्फ पात्रता मांग रहे हैं। और यह हमारा अधिकार है।”

📌 नोट:
यह लेख प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के बयानों, मीडिया रिपोर्ट्स और स्थल पर हो रही घटनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी राजनीतिक दल या पक्ष का समर्थन या विरोध नहीं।

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