हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीद जारी रखता है, तो अमेरिका भारत पर टैरिफ (आयात शुल्क) में “काफी वृद्धि” करेगा।
भारत और रूस के बीच दशकों से मजबूत रणनीतिक और ऊर्जा संबंध हैं। भारत, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता रहा है। खासतौर पर यूक्रेन युद्ध के बाद, जब पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, तब भी भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा। भारत ने हमेशा यह तर्क दिया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को सबसे सस्ती और विश्वसनीय स्रोत से पूरा करना चाहता है।
ट्रंप का बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर वह 2025 में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को अमेरिका की विदेश नीति के खिलाफ मानेंगे। उन्होंने चेताया कि इस प्रकार के व्यवहार के कारण भारत पर व्यापार शुल्क (tariff) में बड़ा इजाफा किया जाएगा।
उनका मानना है कि अमेरिका के सहयोगी देशों को ऐसे राष्ट्रों से व्यापार नहीं करना चाहिए, जो अमेरिका के विरोध में खड़े हैं। रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत द्वारा तेल खरीदने को ट्रंप ने “सहमति के उल्लंघन” के तौर पर देखा।
ट्रंप के बयान से यह संकेत मिलता है कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बने, तो भारत के साथ व्यापारिक संबंधों में कठोर रुख अपना सकते हैं। इससे निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं:
-
भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ सकता है, जिससे भारत की अमेरिका को होने वाली निर्यात कमाई प्रभावित हो सकती है।
-
उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा, खासकर टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में।
-
बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है।
-
कूटनीतिक संबंधों में तनाव आ सकता है, जो रणनीतिक साझेदारी को प्रभावित कर सकता है।
ट्रंप का भारत पर निशाना क्यों?
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे चर्चित राजनेताओं में गिने जाते हैं। उन्होंने हमेशा “America First” की नीति पर जोर दिया है और जो भी देश या नीति अमेरिका के हितों के खिलाफ दिखाई देती है, उस पर वह खुलकर टिप्पणी करते हैं। ऐसे में जब भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, तो ट्रंप का निशाना भारत पर साधना किसी चौंकाने वाली बात नहीं है। लेकिन आख़िर ट्रंप भारत पर निशाना क्यों साध रहे हैं? इसके पीछे कई वजह हैं — राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक।
1. रूस से भारत की बढ़ती तेल खरीद पर आपत्ति
ट्रंप की मुख्य आपत्ति भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर है।
-
यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं।
-
लेकिन भारत ने रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदना जारी रखा, जिससे ट्रंप और अन्य अमेरिकी नीति निर्माताओं को यह संदेश गया कि भारत उनके प्रतिबंधों की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहा है।
ट्रंप का मानना है कि जब अमेरिका भारत को व्यापार में तरजीह दे रहा है, तो भारत को भी अमेरिकी नीतियों के अनुरूप चलना चाहिए।
2. “America First” नीति का प्रभाव
ट्रंप जब भी राष्ट्रपति रहे, उन्होंने हमेशा यह नीति अपनाई कि अमेरिका को सबसे पहले रखा जाए।
-
वे मानते हैं कि अमेरिका के सहयोगी देशों को उन्हीं के हितों के अनुसार काम करना चाहिए।
-
अगर कोई देश, खासकर भारत जैसा बड़ा व्यापारिक साझेदार, रूस जैसे अमेरिका के विरोधी से व्यापार करता है, तो वह “America First” नीति के खिलाफ है।
3. घरेलू राजनीति और चुनावी रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में फिर से उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपनी घरेलू राजनीति को मजबूत करना है।
-
अमेरिका में रूस को लेकर जनता और मीडिया की भावना काफी नकारात्मक है।
-
ट्रंप भारत जैसे देश के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर अमेरिकी मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे राष्ट्रहित से कभी समझौता नहीं करेंगे।
-
इससे उन्हें कट्टर राष्ट्रवादी वोट बैंक में बढ़त मिल सकती है।
4. व्यापार संतुलन को लेकर चिंता
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में काफी असंतुलन है।
-
भारत अमेरिका को अरबों डॉलर की वस्तुएं निर्यात करता है, लेकिन आयात कम करता है।
-
ट्रंप पहले भी इस असंतुलन पर नाराज़गी जता चुके हैं और भारत से टैक्स छूट वापसी की बात कर चुके हैं।
-
रूस से तेल खरीद को इस असंतुलन के खिलाफ एक और कदम माना जा सकता है|
क्या ट्रंप की धमकी का कोई वास्तविक असर होगा?
यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि ट्रंप की इस धमकी से भारत-अमेरिका संबंधों में भारी दरार आ जाएगी।
-
भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार फैसले लेता है।
-
साथ ही भारत और अमेरिका के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं — रणनीतिक, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में भी गहरे संबंध हैं।
-
ट्रंप के बयान को फिलहाल राजनीतिक रणनीति भी माना जा सकता है, लेकिन अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत को अमेरिकी नीति में कठोरता का सामना करना पड़ सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया: ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि
भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। सरकार का तर्क है कि रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना देश के आर्थिक हित में है और इससे महंगाई पर भी नियंत्रण रहता है। भारत ने यह भी बताया कि वह रूस से तेल खरीद कर किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा।
भारत के विदेश मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करेगा।